Wednesday 10 October 2018

" मध्यप्रदेश गान "

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है,
यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है।
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,
स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

चंबल की कल-कल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,
खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की।
भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,
अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।

क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,
महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां,
कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विषेश है,
ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

मध्यप्रदेश का इतिहास / M.P.

मध्यप्रदेश का इतिहास


किसी देश या राज्य की भौगोलिक स्थिति, उस स्थान की ऐतिहासिक घटनाओं और आर्थिक विकास को बहुत अधिक प्रभावित करती है। यह अपने नागरिकों और उनके व्यवहार के दृष्टिकोण को भी प्रभावित करती है। भौगोलिक रूप से देश के केंद्रीय स्थान पर स्थित मध्यप्रदेश, वास्तव में भारत के हृदय समान है।.

अपने केंद्रीय स्थान के कारण इस क्षेत्र पर सभी ऐतिहासिक धाराएं, स्वाभाविक रूप से अपने सुस्पष्ट निशान छोड़ गई। प्रागैतिहासिक काल पत्थर युग से शुरू होता है, जिसके गवाह भीमबेटका, आदमगढ, जावरा, रायसेन, पचमढ़ी जैसे स्थान है। हालांकि राजवंशीय इतिहास, महान बौद्ध सम्राट अशोक के समय के साथ शुरू होता है, जिसका मौर्य साम्राज्य मालवा और अवंती में शक्तिशाली था। कहा जाता है कि राजा अशोक की पत्नी विदिशा से थी, जो आज के भोपाल की उत्तर में स्थित एक शहर था। सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ और ई. पू. तीन से पहली सदी के दौरान मध्य भारत की सत्ता के लिए शुंग, कुशान, सातवाहन और स्थानीय राजवंशों के बीच संघर्ष हुआ। ई. पू. पहली शताब्दी में उज्जैन प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र था। गुप्ता साम्राज्य के दौरान चौथी से छठी शताब्दी में यह क्षेत्र उत्तरी भारत का हिस्सा बन गया, जो श्रेष्ठ युग के रूप में जाना जाता है। हूणों के हमले के बाद गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ और उसका छोटे राज्यों में विघटन हो गया। हालांकि, मालवा के राजा यशोधर्मन ने ई. सन 528 में हूणों को पराभूत करते हुए उनका विस्तार समाप्त कर दिया। बाद में थानेश्वर के हर्षा ने अपनी मृत्यु से पहले ई.सन 647 तक उत्तरी भारत को फिर से एक कर दिया। मध्ययुगीन राजपूत काल में 950 से 1060 ई.सन के दौरान मालवा के परमरस और बुंदेलखंड के चंदेल जैसे कुलों का इस क्षेत्र पर प्रभुत्व रहा। भोपाल शहर को नाम देनेवाले परमार राजा भोज ने इंदौर और धार पर राज किया। गोंडवना और महाकौशल में गोंड राजसत्ता का उदय हुआ। 13 वीं सदी में, दिल्ली सल्तनत ने उत्तरी मध्यप्रदेश को हासील किया था, जो 14 वीं सदी में ग्वालियर की तोमर और मालवा की मुस्लिम सल्तनत (राजधानी मांडू) जैसे क्षेत्रीय राज्यों के उभरने के बाद ढह गई।
1156-1605 अवधि के दौरान, वर्तमान मध्यप्रदेश का संपूर्ण क्षेत्र मुगल साम्राज्य के तहत आया, जबकि गोंडवाना और महाकौशल, मुगल वर्चस्व वाले गोंड नियंत्रण के तहत बने रहे, लेकिन उन्होने आभासी स्वायत्तता का आनंद लिया। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल नियंत्रण कमजोर हो गया, जिसके परिणाम स्वरूप मराठों ने विस्तार करना शुरू किया और 1720-1760 के बीच उन्होने मध्यप्रदेश के सबसे अधिक हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। इंदौर में बसे अधिकतर मालवा पर होलकर ने शासन किया, ग्वालियर पर सिंधिया ने तथा नागपुर द्वारा नियंत्रित महाकौशल, गोंडवाना और महाराष्ट्र में विदर्भ पर भोसले ने शासन किया। इसी समय मुस्लिम राजवंश के अफगान के जनरल दोस्त मोहम्मद खान के वंशज भोपाल के शासक थे। कुछ ही समय में ब्रिटिशो ने बंगाल, बंबई और मद्रास जैसे अपने गढ़ों से अधिराज्य का विस्तार किया। उन्होने 1775-1818 में मराठों को पराजित किया और उनके राज्यों के साथ संधि कर उनपर सर्वोपरिता स्थापित की। मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, नागपुर, रीवा जैसे बड़े राज्यों सहित अधिकांश छोटे राज्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गए। 1853 में ब्रिटिशो ने नागपुर के राज्य पर कब्जा कर लिया, जिसमे दक्षिण-पूर्वी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ शामिल था, जो 1861 में मध्य प्रांत के निर्माण हेतु सौगोर और नेरबुड्डा आतंकीयों के साथ जुडे हुए थे। उत्तरी मध्यप्रदेश के राजसी राज्य सेंट्रल इंडिया एजेंसी द्वारा संचालित किए जाते थे।
1947 में भारत की आजादी के बाद, 26 जनवरी, 1950 के दिन भारतीय गणराज्य के गठन के साथ सैकड़ों रियासतों का संघ में विलय किया गया था। राज्यों के पुनर्गठन के साथ सीमाओं को तर्कसंगत बनाया गया। 1950 में पूर्व ब्रिटिश केंद्रीय प्रांत और बरार, मकाराई के राजसी राज्य और छत्तीसगढ़ मिलाकर मध्यप्रदेश का निर्माण हुआ तथा नागपुर को राजधानी बनाया गया। सेंट्रल इंडिया एजेंसी द्वारा मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल जैसे नए राज्यों का गठन किया गया। राज्यों के पुनर्गठन के परिणाम स्वरूप 1956 में, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्यों को मध्यप्रदेश में विलीन कर दिया गया, तत्कालीन सी.पी. और बरार के कुछ जिलों को महाराष्ट्र में स्थानांतरित कर दिया गया तथा राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में मामूली समायोजन किए गए। फिर भोपाल राज्य की नई राजधानी बन गया। शुरू में राज्य के 43 जिले थे। इसके बाद, वर्ष 1972 में दो बड़े जिलों का बंटवारा किया गया, सीहोर से भोपाल और दुर्ग से राजनांदगांव अलग किया गया। तब जिलों की कुल संख्या 45 हो गई। वर्ष 1998 में, बड़े जिलों से 16 अधिक जिले बनाए गए और जिलों की संख्या 61 बन गई। नवंबर 2000 में, राज्य का दक्षिण-पूर्वी हिस्सा विभाजित कर छत्तीसगढ़ का नया राज्य बना। इस प्रकार, वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और जो 308 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र पर फैला हुआ है|

Friday 5 October 2018

The city of temples of Ujjain

Mahakaleshwar temple


This temple at the heart of Ujjain, is one of the most sacred temples in India. It is also the best place to begin with exploring this ageless town. The market around the temple is also Ujjain’s commercial nerve center. Regarded as one of the twelve jyotirlingas, Mahakaleshwar is one of the most sacred Shiva temples in India. Not only is the Mahakal Linga the only Dakshinamurti (south facing deity) among 12 jyotirlinga but it is also revered as the only swayambhu or self-actualized linga. 
Bada Ganpati temple
It enshrines a gigantic idol of lord Ganesh. It is said to be made of various peculiar ingredients apart from brick and limestone like jaggery, water and soil.
Harsiddhi temple
This temple occupies a special place in the galaxy of temples in Ujjain. The temple has two unique pine-shaped iron lamp stands that loom to a height of 15 feet. The red temple, an ancient Hindu structure beyond the lamp stands symbolizing the potency of Durga, is peculiar to the Maratha art of architecture. Yet another special feature of Harsiddhi temple is the Sri Yantra, or nine triangles that represent nine names of Durga.
Kaal Bhairav Temple
The temple is dedicated to Kaal Bhairav, located on the banks of Shipra River in Ujjain city. The temple is the most active temples in the city and one of the most unique temple in India. Liquor is offered to the temple deity.The temple comes to life especially on the festival of Mahashivratri, when devotees congregate in vast numbers.
Chintaman Ganesh temple
This is one of the most visited temples in Ujjain. The Ganesh idol enshrined here is supposed to be Swayambhu (born of itself). Worshippers throng to this temple because the deity here is traditionally known as Chintaharan Ganesh meaning the assurer of freedom from worldly anxieties.

Indore- A city that eats well and hosts well!/

Scrumptious is the word delightful to every foodie soul. It’s an expression which brings in mind a great food and truly all the emotions associated with it! Well. you will find the same emotions rushing to the fore when you step into Indore’s market to satisfy your hunger pangs. The street food of Indore, to be specific is extremely popular across and the food culture has a blend of Rajasthani, Gujarati and Maharashtrian influence.  Let us tempt you with a list of best Indore street food for your next visit to the city:
What to eat where in Indore?
Sarafa
Joshiji ka dahiwada Relishing on a dahiwada here is not just about the taste, but it’s also about the experience of watching its preparation by the person at the shop. The one preparing it is surely a performer as he flips the dahiwada with the curd without spilling a drop. After pouring some curd into the bowl, he will sprinkle five spices using just one finger without allowing them to mix together. Of course, you must make it there before 11pm, otherwise there is no way you will get a dahiwada. As the number of people outweigh so are the number of wadas.
Saawariya ki sabudana khichdi Yummy and unique, this shop has its own style of making the sabudana khichdi.
Saawariya ka Bhutte ka keesThis Indori unique concoction is made of corn dana that is boiled, fried in ghee and then mixed with besan, heeng, jeera, dhaniya and their own unique spices.
Vijay ki kachori A must try is Vijay’s special Matar kachoris that, of course, finishes by 10pm. Grab a plate of yours before it ends.
Indori Khopra Patties Satiate your cravings with Indori Khopra patties. Fried to perfection potato patties with a coconut filing and good helping of tangy chutney’s is what these khopra patties are all about. Vijay Chaat House, Chhapan Dukan, New Palasia is a go-to shop where you can enjoy this snack.
Fried Garadu Indore style  This is Indore’s version of the crispy and tangy Aloo ki chaat. A yam-variant, Garadu, is diced, fried to golden brown and then sprinkled with a good helping of the special masala (yes, in Indore there’s a special spice mix for every dish!) and lots of lemon juice – the perfect recipe for yumminess in a platter. Several shops at Sarafa Bazar serve them fresh.
Also, a visit to Sarafa is not complete without having Nagori ki Shikanji, Anna ka paan and your pick of sweets that include the best jalebis, gulaab jamuns, kulfis and rabris.
Please take a note that on just one visit of yours you are sure to put on some extra pounds as whatever comes to your plate is served with lots of love and ghee for sure!
56 shops (chappan dukaan) This unique stretch of 56 shops is famous and is an extremely popular hangout joint in Indore. The city is known for its poha-jalebi combination.  
Indori namkeen Speak of Indore and you do not try out on the famous Namkeens then your visit to the city is incomplete.The city hosts several namkeen chains and countless varieties as the staple is famous Indori khatta Meetha.
Unique about the food culture in Indore
One thing that will impress you during your visit to Indore is that when you ask any one where you get the best Poha or any other snack, people will be more than happy to guide you to other shops, even though they may be selling the same themselves. The food shop owners are extremely welcoming and hospitable and most importantly, very honest. They leave you impressed as no one ever shares a competitor’s name usually.
That’s Indore for you folks. Explore the regions strikingly rich street food culture which guarantees you to give amouthwatering food trek and a stomach full of love!By,Dheeraj Lohar