Saturday 20 January 2018

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास | Alauddin Khilji History In Hindi

वे एक महत्व्कंशी और युद्धोंतेजक शासक थे। अलाउद्दीन खुद को “दूसरा एलेग्जेंडर” कहते थे। उन्हें “सिकंदर-ए-शाही” का औधा (की उपाधि) भी दिया गया था। अपने साम्राज्य में उन्होंने खुले में मदिरा के सेवन करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।

1308 में अलाउद्दीन ने अपने सहायक मलिक काफूर को दक्षिण के अभियान पर भेजा, जिसका मुख्य उद्देश्य कृष्णा नदी के दक्षिण पर स्थापित होयसला साम्राज्य के वरंगल को हासिल करना और दक्षिण में मदुरा के व्यापार को बढ़ाना था। 1311 में मलिक काफूर दिल्ली वापिस आया। लेकिन इसके कुछ ही समय बाद 1316 में सुल्तान की मौत हो गयी।

कहा जाता है की चित्तोड़ की रानी पद्मिनी को पाने के लिए उन्होंने 1303 CE में चित्तोड़ पर आक्रमण किया था। इस युद्ध का लेखक मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में 1540 में अपनी कविता पद्मावत में उल्लेख किया है।

अलाउद्दीन खिलजी एक शक्तिशाली मिलिट्री कमांडर था जो भारतीय उपमहाद्वीप में सेना की देखरेख करता था। सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को इतिहास के उन शासको में गिना जाता है जिन्होंने मंगोल आक्रमण से अपने राज्य की रक्षा की थी। उन्होंने विशाल और शक्तिशाली मंगोल सेना को पराजित किया था।

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उनके साम्राज्य की सीमा – इतिहासिक जानकारों के अनुसार उनके राज्य में हुए युद्ध को देखकर यह कहा जा सकता है की अलाउद्दीन का साम्राज्य सिमित था। उत्तर-पश्चिमी तरफ पंजाब और सिंध उन्ही के नियंत्रण में थे और अपने सम्राज्य की सीमा भी निर्धारित की। उनका ज्यादातर साम्राज्य गुजरात, उत्तर प्रदेश, मालवा और राजपुताना क्षेत्र में था।

अलाउद्दीन खिलजी इतिहास के महान शासको में से एक है, उस समय उनकी विजय का डंका पुरे भारत में प्रसिद्ध था और खिलजी स्वयं को द्वितीय एलेग्जेंडर कहते थे।

अंतिम दिन – अलाउद्दीन खिलजी के जीवन के अंतिम दिन काफी दर्दभरे थे। उनकी अक्षमता का फायदा लेते हुए कमांडर मलिक काफूर ने पूरा साम्राज्य हथिया लिया। उस समय वे निराश और कमजोर हो गए थे और 1316 AD में ही उनकी मृत्यु हो गयी थी।

अलाउद्दीन खिलजी का आकलन – इतिहासकारों ने अलाउद्दीन खिलजी को एक महान योद्धा और शासक बताया है। लेकिन फिर भी वह एक सशक्त साम्राज्य खड़ा करने में नाकाम रहा और अपनी जनता की बिच ख्याति प्राप्त नही कर सका।

खिलजी शासन का अंत – अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के चार साल के भीतर ही खिलजी साम्राज्य का पतन हो गया था। अलाउद्दीन के छोटे बेटे शहाबुद्दीन को उनके तीसरे बेटे मुबारक शाह ने गद्दी से उतार दिया था और 1316 से 1320 AD तक शासन किया। लेकिन बाद में नसीरुद्दीन ने अंततः उनकी हत्या कर दी थी।

अलाउद्दीन खिलजी की रोचक बाते – Alauddin Khilji Interesting facts

अलाउद्दीन एक शक्तिशाली और बुद्धिमान शासक था। वह स्वयं को दूसरा एलेग्जेंडर कहता था। उन्हें सिकंदर ए सनी के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने अपने साम्राज्य को काफी हद तक विकसित कर रखा था। उन्होंने गुजरात, रणथंबोर, मेवाड़, मालवा, जालौर, वरंगल, माबर और मदुराई का निर्माण किया था।
मंगोलों को युद्ध में बहुत सी बार पराजित करने के लिए वे प्रसिद्ध है। जालंधर (1298), किली (1299) और रवि (1306) ।
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान था। अलाउद्दीन खिलजी साम्राज्य का दूसरा सुल्तान था और खिलजी साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली सुल्तान भी है। 1296 से 1316 तक पुरे 20 वर्षो तक अलाउद्दीन ने शासन किया था।
अलाउद्दीन के युद्ध विजय में मलिक काफूर का बहुत बड़ा हात है। गुजरात युद्ध के समय मलिक काफूर की विशालकाय और शक्तिशाली सेना का उपयोग किया था। उन्होंने अलाउद्दीन को बहोत सी सहायता भी की है।
1316 में अलाउद्दीन की मृत्यु हो गयी थी। कहा जाता है की मलिक काफूर न्र ही उनकी हत्या की होगी।
अपने अंकल और ससुर जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करने के बाद ही वह खिलजी साम्राज्य के शासक बना।
अलाउद्दीन खिलजी एकमात्र ऐसा शासक था, जिसने अपने साम्राज्य के विस्तार, सुरक्षा के साथ-साथ राजस्व और आर्थिक सुधारों के लिए नीतियां संचालित कीं और देश को एक सुसंगठित राजनैतिक ढांचे का रूप प्रदान किया। एक स्थायी सेना का गठन करके धर्म व राजनीति को अलग कर मुस्लिम साम्राज्यवाद को उन्नति के शिखर तक पहुंचाया। अलाउद्दीन के राज्य में इतनी ज्यादा शान्ति थी कि यात्री जंगलों में सुरक्षित सो सकते थे। साहित्य और कला को बढावा देने के साथ-साथ उसने एक ऐसी विदेश नीति तैयार की थी, जिसके कारण भारत मंगोल आक्रमण से सुरक्षित रहा। फिर भी उसे निरंकुश, असहिष्णु, अनपढ़, किन्तु योग्य सेनानायक, महत्त्वाकांक्षी प्रशासक, लुटेरा, खूनी हत्यारा भी कहा जाता है, बेशक इसमें कोई सन्देह नहीं कि वह दिल्ली के सुल्तानों में एक महान् शासक था।

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